"“ इस अनुभाग में निहित जानकारी निर्देशात्मक है। उपयोग किया गया डाटा गौण स्त्रोतों से लिया गया है। इनके आधार पर दि.मु.यो. 2021 की प्रस्ताव नीतियों को सूत्रबद्ध किया गया है। ”"
योजना का निर्माण
दि.वि.प्रा. वर्तमान में दिल्ली मुख्य योजना - 2001 के विस्तृत संशोधन पर कार्य कर रहा है और दि.मु.यो. को 2021 के परिप्रेक्ष्य के अनुसार तैयार किया जा रहा है ताकि शहर की बढ़ती हुई जनसंख्या और बदलती हुई जरूरतों का प्रबंध किया जा सके।
दि.मु.यो-2021 को तैयार करने की भूमिका के अनुसार, बारह उपसमूहों का गठन किया गया, जिसमें शमिल है:
- विशेषज्ञ एवं पेशेवर,
- प्रतिष्ठित व्यक्ति,
- जन प्रतिनिधि,
- संबंधित संगठन,
- सेक्टोरल स्टडीज
- Sराजनीतिज्ञों, प्रशासकों, स्थानीय निकायोंएवंआर.डब्लू.ए. इत्यादि को आमंत्रित करते हुए सेमिनारों की श्रृंखला।
लगभग 200 विशेषज्ञ विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
उपसमूह:
- जनसांख्यि की प्रोफाइल
- क्षेत्रीय एवं उप-क्षेत्रीय
- आश्रय शेल्टर
- व्यापार एवं वाणिज्य
- उद्योग
- वास्तविक आधारिक संरचना
- ट्रैफिक एवं परिवहन
- सामाजिक आधारिक संरचना
- मिश्रित भूमि उपयोग
- संरक्षण एवं शहरी नवीकरण
- पर्यावरण एवं प्रदूषण
- विकास नियंत्रण
चरण:
- रेजीडेन्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन आदि के साथ से मिनार और परस्पर विचार-विमर्श की श्रृंखला के माध्यम से जन भागीदारी।
- उप-समूहों की सिफारिशें
- केन्द्र/राज्य सरकार और प्राधिकरण परामर्श--
(भारत सरकार से प्राप्त दिशा-निर्देश–स्टेक होल्डर्स के साथ परामर्श के लिए अतिरिक्त इनपुट का प्रचार किया गया)
- मसौदा योजना (ड्राफ्ट प्लान)
- आपत्तियों एवं सुझावों के लिए सार्वजनिक सूचना को जारी करने हेतु भारत सरकार का अनुमोदन
- आपत्तियों एवं सुझावों पर विचार करना
- अंतिम योजना
दि.मु.यो. - 1962 को 20 वर्षों अर्थात् 1981 तक के परिप्रेक्ष्य के साथ तैयार किया गया था। योजना के अनुभव के आधार पर और वर्ष 2001 तक शहर की बढ़ती हुई जनसंख्या और बदलती हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिल्ली विकास अधिनियम की धारा 11-‘क’ के अंतर्गत दि.मु.यो.- 2021 में विस्तृत संशोधन किए गए थे तथा दिल्ली मुख्य योजना - 2021 को दि.वि.प्रा. के इन हाउस पेशेवरों द्वारा तैयार किया गया।
संशोधित योजना, दि.मु.यो. - 2021 को भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया और 1-8-90 को लागू किया गया।
भारत में आधुनिक नियोजन की ओर यह पहला कदम था।
India.
इसे फोर्ड फाउंडेशन टीम की सहायता से तैयार किया गया।
दिनांक 1-9-1962 को प्रख्यापित किया गया।
दिल्ली विकास अधिनियम 1957 के प्रावधान के अनुसार गठन किया गया।
इसका लक्ष्य दिल्ली का एकीकृत विकास था।
दिल्ली संघ शासित क्षेत्र का कुलक्षेत्रफल 148,639 है. है, जिसमें से 44,777 है. को पहले से ही योजना में निर्दिष्ट शहरीकरण योग्य सीमा में शामिल कर लिया गया। इस क्षेत्र ने 1981 जनगणना के अनुसार 54.5 लाख शहरी जनसंख्या को आवास प्रदान किया। बची हुई शहरी जनसंख्या 17 आवासों जिन्हें 1981 की जनगणना में कस्बे कहा गया और नजफगढ़ तथा नरेला में निवास करती थी। 122 लाख की जनसंख्या को आवास मुहैया करवाने हेतु एक दोहरी विशिष्ट नीति की सिफारिश की गई थी।
मौजूदा शहरीकरण योग्य सीमा, अर्थात दिल्ली शहरी क्षेत्र (डी.यू.ए.) - 1981 की जनसंख्या नियंत्रण क्षमता को बढ़ाना। इस प्रकार जनसंख्या नियंत्रण क्षमता को लगभग 82 लाख तक बढ़ाया जा सका।
आवश्यक विस्तार तक वर्तमान शहरी सीमाओं का विस्तार अर्थात– दिल्ली शहरी क्षेत्र (डी.यू.ए.) – 2001
अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि शेष 40 लाख जनसंख्या को आवास उपलब्ध करवाने के लिए डी.यू.ए.-1981 के विस्तार को लगभग 18,000-24,000 हे. तक बढ़ाना आवश्यक था। इससे डी.यू.ए.-2001 अर्थात् प्रस्ताविक शहरी विस्तार का निर्माण होगा।
दिल्ली की बदलती हुई आवश्यकताओं का पूरा करने की विस्तार योजना, ‘‘शहरी विस्तार योजना’’ कहलायी। इस योजना में तीन उप-शहर, अर्थात् रोहिणी, द्वारका, नरेला उप-शहरों का विकास शामिल था।
रोहिणी स्कीम को सभी आयवर्गो को शामिल करते हुए कम्पोजिट सोसायटी के लिए 1980 में शुरू किया गया था। तथापि, अधिकतर आवास ई.डब्ल्यू.एस. और एल.आई.जी. श्रेणियों को प्रदान किया गया।
रोहिणी उपशहर में दो भाग ज़ोन शामिल होते हैं, अर्थात ज़ोन ‘एच’ भाग (फेज-I तथा फेज़-II) और ज़ोन ‘एम’ भाग (फेज़-III, IV और V)
आने वाली पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करना
आज द्वारका प्रत्येक आवश्यक आधारिक संरचनागत सुविधाओं के साथ एक मिलियन लोगों को आवास उपलब्ध करवाने के अंतिम चरण में है।
द्वारका सटीक मिश्रित, सौन्दर्यपरक एवं मनोरंजनात्मक सुविधाएं इत्यादि प्रदान करता है।
द्वारका आने वाले कल की जरूरतों के संकेत को पूरा करने में गतिशील है।
गौरवान्वित होने का प्रतीक - द्वारका।
नरेला शहरी विस्तार की दिशा में दि.वि.प्रा. की तीसरी सबसे बड़ी उपशहर परियोजना है।
योजना के अनुसार, उपशहर विविध गतिविधियों - वहनीय, प्रकार्यात्मक, वातावरण के अनुकूल वहनीय मनोजंनात्मक रूप से पर्याप्त और सौन्दर्यपरक रूप से मनोहर, सुखदायी तथा वास्तविक–के अनुपम समूह का मिश्रण है।
भविष्य के अनुरूप योजनाबद्ध गंतव्य।
योजना विभाग ने कुछ विशेष परियोजनाओं को तैयार करने का भी कार्य किया, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं
यमुना नदी का वास्तविक पत्रक
शुरुआत एवं गंतव्य |
3220 मीटर की ऊँचाई पर यमुनोत्री से 1400 कि.मी. की
ट्रेवर्सिग के बाद इलाहाबाद में गंगानदी से मिलती है
|
लंबाई |
50 कि.मी. .........वज़ीराबाद बैरेज के उत्तर की ओर 28%
और शेष दक्षिण की ओर।
|
चौड़ाई |
1.5 कि.मी. से 3 कि.मी. |
नदी किनारे का क्षेत्र |
97 वर्ग कि.मी. लगभग 9700 है. |
पानी के नीचे का क्षेत्र |
16.00 वर्ग किमी. लगभग 1600 है. |
सूखे क्षेत्र के नीचे का क्षेत्र |
81.00 वर्गकिमी लगभग 8100 है. |
थोक व्यापार गतिविधियों के लिए सुविधाएं
नीलामी क्षेत्र
थोक की दुकाने और सहायक संग्रहण क्षमता
पैकेजिंग सुविधाएं
होलसेल गोदाम, कोल्ड स्टोरेज इत्यादि एक साथ
हैंडलिंग सुविधाओं एवं उपकरण आदि के साथ।
संबद्ध/सहायक सुविधाएं एवं सेवाएँ-
विशेष परियोजनाओं के अतिरिक्त दि.वि.प्रा. के योजना विभाग ने दो अन्य मुख्य परियोजनाओं अर्थात् जसोला और धीरपुर की योजना और विकास का कार्य शुरूकर दिया है।
- 6 (I) धीरपुर परियोजना क्षेत्र ((900 है.) ) चार योजना ज़ोनों, अर्थात् सी-14, सी-19 एवं सी-20 में आने वाले कुल क्षेत्रफल का एक भाग है।.
- परियोजना क्षेत्र को रोनेशन पिलर और धीरपुर गांव के निकट एनएच-1 बाईपास के दक्षिण में स्थित है।
बाहरी रिंग रोड के निर्माण से पहले साइट बाढ़ के क्षेत्राधीन थी और अतः इसे दि.मु.यो. 1962 में मनोरंजनात्मक हरितक्षेत्र के रूप निधारित किया गया था।.
सड़क निर्माण के बाद 900 है. की सम्पूर्ण साइट को आवासीय एवं समर्थित उपयोग के लिए किया गया था।
क्षेत्रफल ब्यौरा
कुल साइट क्षेत्रफल - 194.50 है.
न्यायालय रोक के अंतर्गत क्षेत्र - 33.44 है.
अतिक्रमण के अंतर्गत क्षेत्र - 11.00 है.
अनर्जित भूमि - 5.81 है.
यह योजना सरिता विहार के नजदीक दक्षिण की ओर दिल्ली नोएडा रोड पर स्थित है। कुल परियोजना क्षेत्रफल - 160.21 है.
आवासीय स्थिति
फेज़- I |
फेज़-II |
प्लॉटिड विकास - क्षेत्रफल
= 20.19 है. - प्लॉटों की संख्या = 504 |
प्लॉटिड विकास - क्षेत्रफल
= 6.78 है. - प्लॉटों की संख्या = 168 |
ग्रुपहाउसिंग - क्षेत्रफल = 28.79 है. - प्लॉटों की संख्या = 3900 (लगभग) |
ग्रुपहाउसिंग - क्षेत्रफल/span> = 3.62
है. - प्लॉटों की संख्या = 490 |
योजना पहलुओं के अतिरिक्त, योजना विभाग दिल्ली विकास अधिनियम के अंतर्गत मुख्य योजना स्तर नीति के संशोधन में भी कार्यरत है ताकि शहरी गतिशीलता की चुनौतियों का सामना किया जा सके। कुछ मुख्य वर्तमान नीति संशोधन (अनुमोदित/विचाराधीन) निम्न प्रकार हैः-
रा.रा.क्षे.दि. सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्तर्राज्य सड़कों पर ग्रामीण क्षेत्रों/हरित
पट्टी और व्यवसायिक क्षेत्रों में मोटलो की अनुमति हेतु दिशानिर्देश।
Tरा.रा.क्षे., दिल्ली सरकार में राष्ट्रीय राजमार्गो और अंतर्राज्यीय सड़कों पर ग्रामीण क्षेत्रों/हरित पट्टी और व्यावसायिक क्षेत्रों में मोटल्स की अनमति हेतु दिशा-निर्देश उक्त अधिसूचना को 16.6.99 को जारी किया गया था। यह 20 मीटर तक की न्यूनतम चौड़ाई वाले राष्ट्रीय राजमार्गो और अंतर्राज्यीय सड़कों (ऐसी विनिर्दिष्ट सड़क जो पड़ोसी राज्य के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सीधे जुड़ती हो) या उनके समानांतर चलने वाली सड़को पर ग्रामीण क्षेत्रों/हरित पट्टी और व्यावसायिक क्षेत्रों में मॅाटल्स का निर्माण करने की अनुमति देती है।
मिश्रित भूमि उपयोग (अनुभव मिश्रित भूमि उपयोग)
राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली मुख्य योजना (2001) में संशोधन निम्नलिखित प्रकार से आवासीय क्षेत्रों में मिश्रित उपयोग की अनुमति देता है:
भूतल कवरेज के अधिकतम 25 प्रतिशत तक या केवल भूतल पर तल क्षेत्रफल के 50 वर्ग मीटर तक जो भी कम हो, आवासीय परिसरों में खुदरा की दुकानों (जोखिम पूर्ण और बाधा उत्पन्न करने वाली दुकानों को छोड़कर) की अनुमति है।
किसी भी तल पर एफ.ए.आर. के 25 प्रतिशत तक या 100 वर्गमीटर तक, जो भी कम हो, प्रोफेशनल ऑफिस।
दिनांक 11.03.2011 की राजपत्र अधिसूचना के द्वारा उन आवासीय प्लॉटों में नर्सिंग होम, गेस्टहाउस और बैंकों की अनुमति दी गई, जिन प्लॉटों का आकार 209 वर्गमीटर (250 वर्ग गज से अधिक हो और जिसके सामने न्यूनतम 18 मीटर चौडी सड़क हो पुनर्र्वास कॉलोनियों में 13.5 मीटर चौड़ी तथा चारदिवारी शहर (विशेष क्षेत्र में 9 मीटर चौडी सड़क)
आवासीय प्लॉटों में गैर-प्रदूषित हाउस होल्ड इंडस्ट्रीज की अनुमति तल क्षेत्रफल के 25 प्रतिशत तक या 30 वर्ग मीटर तक जो भी कम हो है।
गैर-अनुमेय मिश्रित भूमि उपयोग
आवासीय क्षेत्रों की सुरक्षा, रक्षा और पर्यावरण गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए, निम्नलिखित गतिविधियों की अनुमति नहीं है:-
रीटेल की दुकाने – बिल्डिंग मैटिरियल, टिम्बर, बिल्डिंग उत्पाद, मार्बल, लोहा, इस्पात और रेत, ईधन की लकड़ी, कोयला।
रीपेयर की दुकाने – ऑटोमोबाइल रीपेयर और वर्कशॉप्स, साइकिल रिक्शा रिपेयर, टायर रिसोर्टिंग और रीट्रेडिंग, बैटरी चार्जिंग।
सर्विस शॉप - फ्लोरमिल्स, (3 किलोवाट पॉवर लोड से अधिक) फ्रैबिकेशन और वेल्डिंग।
स्टोरेज, गोदाम और वेयरहाउसिंग
उत्पादन इकाईयाँ (हाउस होल्ड उद्योग को छोड़कर)
कबाड़ की दुकान
दि.वि.प्रा. फ्लैटों में अनुमेय परिवर्धन/परिवर्तन
दि.वि.प्रा. ने दि.वि.प्रा. फ्लैटों में परिवर्धन/परिवर्तन और अतिरिक्त घेरे हुए क्षेत्र की अनुमति के लिए एक व्यापक नीति एवं प्रणाली का ढांचा तैयार किया है, जिसे भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया।
नीति के अनुसार, दि.वि.प्रा. द्वारा निर्मित फ्लैटों में निम्नलिखित परिवर्धन/परिवर्तन क्षमा योग्य है, जिसमें आबंटन की निबंधन एवं शर्तों के अंतर्गत किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।
मौजूदा बरसाती को कमरें में बदलना, बशर्ते दीवार केवल 115 मि.मी. मोटी हो।
उचित फिक्सिंग व्यवस्था के साथ बरामदे में ग्रिल और ग्लेज़िंग।
जाली/फेंसिंग लगवाकर आगे वाली (फ्रंट) और पिछली कोटयार्ड दीवार की ऊँचाई को 7 फुट तक बढ़ाना।
कोटयार्ड में दरवाजा लगवाना, जहाँ उपलब्ध न करवाया गया हो।
उचित फिक्सिंग व्यवस्था के साथ दरवाजों और खिड़कियों पर सनशेड लगवाना, जहाँ यह व्यवस्था उपलब्ध न करवायी गई हो।
दरवाजों को बंद करना।
यदि बाथरूम या डब्ल्यू.सी. पर छत न हो, तो उसे खुले शौचालयों के रूप में माना जाएगा और इसलिए अनुमति है।
बालकनी/छत/मुंडेर (पैरपिट) की दीवार को ग्रिल या ग्लेजिंग के साथ 5 फुट की ऊँचाई तक बढ़ाना।
एक मंजिला (सिंगल-स्टोरी) निर्मित फ्लैटों की स्थिति में अनुमति के साथ मूल निर्माण को हटाकर पुनः निर्माण करना, जो केवल भवन उप-विधियों की सुंतष्टि और स्थानीय प्राधिकरण के पूर्व अनुमोदन के अधीन होगा।
ओपन स्टेयर केस (कैट-लैडर) का निर्माण, जहाँ छत तक जाने के लिए कोई सीढ़ी उपलब्ध न करवायी गई हो।
सामान्य रास्ते में व्यवधान उत्पन्न किए बिना भूतल क्षेत्र पर अतिरिक्त पी.वी.सी. पानी का टैंक लगवाना/उपलब्ध करवाना।
सतही स्तर पर स्कूटर/कार गैराज में अतिरिक्त पी.वी.सी. पानी का टैंक उपलब्ध करवाना।
दीवारों को नुकसान पहुँचाए बिना कमरों में लॉफ्ट्/शेल्फ उपलब्ध करवाना।
वाटर-प्रूफिंग ट्रीटमेंट के साथ फ्लोरिंग को बदलना।
आधी ईंट वाली दीवार (4.5 इंच) को हटाना।
सामान्य रास्ते/बरसाती जल नाले के मार्ग में बाधा उत्पन्न किए बिना फ्रंट गेट पर रैम्प का निर्माण करना।
प्रोजेक्शन के द्वारा दो फुट की ऊँचाई तक बाहरी खिडकियों पर सनशेड्स लगवाना।
कमरों में फाल्स सीलिंग करवाना।
मौजूदा दीवारों में एक्जॅास्ट फैन या एयर-कंडीशनर के लिए 2.5 फुट 1.75 फुट के अधिकतम आकार की जगह बनाना।
अगले और पिछले कोर्टयार्ड में दरवाजे़ लगाना।
खिडकी को अलमारी में बदलना, रोशनी और हवा के आने-जाने (वेन्टिलेशन) की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए।
पानी संग्रहण टैंक को शिफ्ट करना/मुंडेर वाली दीवार को पाँच फुट की ऊँचाई तक उठाना और निर्दिष्ट स्थान में अतिरिक्त जल संग्रहण टैंक लगाना, 550 लीटर तक पानी के संग्रह की क्षमता को ध्यान में रखते हुए।
फ्रंट ग्लेज़िग दरवाजों/खिडकियों को मौजूदा छज्जों तक बाहर की ओर शिफ्ट करना।
इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित मदों की अनुमति दी गई, जिसे पंजीकृत वास्तुकार और योग्य संरचना निर्माण अभियंता द्वारा विधिवत रूप से प्रमाणित किया गया।
पिछले कोर्टयार्ड में बाथरूम और डब्ल्यू.सी. का निर्माण, इस शर्त के अधीन कि मौजूदा सेवाएं प्रभावित न हो।
फाइबर ग्लास/एसी शीट्स/पाइपों और मानक एंगल के लोहे के सेक्शन इत्यादि जैसे हल्के भार की सामग्री के साथ 9 फुट की ऊँचाई तक स्लोपिंग रूफ के साथ खुली छत को कवर करना।
सरंचनागत सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उचित पावर कनेक्शन के साथ रसोई/ बाथरूम और डब्ल्यू.सी. की स्थिति में परस्पर परिवर्तन करना। सभी प्रभावित अधिभोगियों/आबंटीतियों की सहमति इस अनुमति से पहले प्राप्त की जानी चाहिए।
कोर्टयार्ड और रूफ टैरेस को कवर करना, जिसके लिए अतिरिक्त 450 प्रति वर्गमीटर की दर पर अतिरिक्त एफ.ए.आर. शुल्क का भुगतान किया जाना हो।
ऐसे मामलों में अनुमोदन की प्रक्रिया को सरल बनाने और शीघ्र पूरा करने के लिए वास्तुकार, वास्तुकार अधिनियम, 1972 के अंतर्गत वास्तुकला परिषद से पंजीकृत हैं, उन्हें यह शक्ति दी गई है कि वह मूल निर्माण से संबंधित सुधार और साथ ही भवन उपविधियों के अनुरूप प्रस्तावों और परिवर्धन/परिवर्तन के दिशा-निर्देशों को प्रमाणित कर सके।
वास्तुकारों और संरचनागत अभियंताओं द्वारा समस्त दस्तावेज़ो के साथ योजना के पंजीकृत होने और शुल्क जमा हो जाने पर, उन्हें रिकॉर्ड के रूप में रखा जाएगा और अनुमत माना जाएगा।
योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कवर किए हुए क्षेत्र पर ध्यान दिए बिना 200/- रु. का भवन योजना शुल्क लिया जाएगा। इसके साथ ही निर्माण के लिए प्रस्तावित अतिरिक्त कवर किए हुए क्षेत्र हेतु 450/- रु. प्रति वर्गमीटर की दर से शुल्क वसूला जाएगा।
संरचनागत सुरक्षा और उचित निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए, वास्तुकार और संरचना अभियंता द्वारा निरीक्षण का प्रमाण-पत्र और साथ ही संरचनागत स्थिरता के लिए क्षतिपूर्ति-बंधपत्र अनिवार्य है। यह उनके लिए आवश्यक नहीं होगा, जिन्हें अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिया गया हो।
स्क्वार्ट्स के पुनर्वास के लिए सुझाए गए मानदंड
एन.सी.आर. नबरों एवं डी.एम.ए. नगरों में पहचान की गई भूमि, जो महत्त्वपूर्ण परियोजना क्षेत्रों/परियोजना स्थलों से स्क्वार्ट्स के पुनर्वास के लिए परिवहन मार्गो द्वारा आसानी से पहुँच योग्य हो।
पुनःस्थानन और स्व-स्थाने पुनर्वास का मिश्रण।
सभी हाउसिंग स्कीमों में ई.डब्ल्यू.एस./जनता श्रेणी आवासों का अनिवार्य प्रावधान।
दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा अंगीकृत भवन उपविधि 1983 दिल्ली संघ शासित क्षेत्र के भीतर आने वाले प्राधिकरण के विकास क्षेत्रों पर लागू होते हैं, जैसाकि दिल्ली विकास अधिनियम, 1957 की धारा-57 की उपधारा-1 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए दिल्ली विकास अधिनियम 1957 की धारा-12 के अंतर्गत घोषित किया गया है। पूर्ण संस्वीकृति के बिना दिल्ली विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में किसी भी प्रकार के विकास की कोई अनुमति नहीं होगी।
सामान्य सूचना
यातायात एवं परिवहन, नगरीय मेटाबोलिज्म की जीवनरेखा हैं। नगर में यातायात एवं परिवहन की संपूर्ण योजना और नीतियों के लिए दि.वि.प्रा. उत्तरदायी है, जिसमें अन्य संबंधित एजेंसियाँ तथा लोक निर्माण विभाग (पी.डब्ल्यू.डी.), दिल्ली नगर निगम (एम.सी.डी.), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एन.डी.एम.सी.), परिवहन विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार, भूतल परिवहन मंत्रालय (एम.ओ.एस.टी.), डी.एम.आर.सी., एनएचएआई आदि भी सम्मिलित हैं।
लक्ष्य:-
शहरी परिवहन की क्षमता वृद्धि द्वारा मांग एवं पूर्ति के मध्य की दूरी को कम करने के लिए दिल्ली के लिए एक विश्वसनीय, कुशल एवं आकर्षक मल्टीमॉडल जनपरिवहन प्रणाली विकसित करना एवं उसे मजबूत बनाना।
पुराने शहर में संचालन को मजबूती प्रदान करना।
साइकिल के सुरक्षित प्रयोग के लिए वातावरण का निर्माण।
पैदल यात्रियों की आवाजाही को सुरक्षित बनाना।
पर्यावरणीय एवं आर्थिक रूप से स्वीकार्य सोच को अपना कर शहर की परिवहन समस्याओं के निवारण के लिए एवं नयी तकनीकों, प्रबन्धन आदि को बढ़ावा देना।
विकल्प और चयन को ध्यान में रखते हुए परिवहन तंत्र का पुर्नगठन।
संतुलित विकास एवं नीतियों के माध्यम से शहरी परिवहन के संरक्षण हेतु भूमि उपयोग, परिवहन एवं शहरी अर्थव्यवस्था में सामंजस्य