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योजना
  • दिल्ली का नियोजित विकास 1957 की दिल्ली विकास अधिनियम की धारा 7-11 ‘क’ के अंतर्गत दि.वि.प्रा. का मुख्य कार्य है।

  • दि.वि.प्रा. के योजना विभाग की नगर योजनाकारों की टीम देश के अन्य किसी भी विकास प्राधिकरण की नगर योजनाकारों की सबसे बड़ी टीम में से एक है।

  • यह विभाग मुख्य योजना, क्षेत्रीय योजनाओं, क्षेत्र कार्य योजनाओं और शहरी विस्तार परियोजनाओं इत्यादि की प्रक्रिया के माध्यम से दिल्ली के नियोजित विकास के दिशानिर्देशन के लिए योजनाएं, नीतियाँ और प्रस्ताव तैयार करता है।Delhi Traffic

  • योजनाओं में सामान्य रूप से नगर स्तरीय योजाएं, उप-नगर स्तरीय योजनाएं, वृहत्ट्रैफिक एवं परिवहन योजना, परिचालन (सर्कुलेशन) नेटवर्क योजना, ट्रैफिक प्रबंधन स्कीम, पर्यावरण प्रबंधन स्कीमें इत्यादि शामिल होती हैं।

  • दि.वि.प्रा. के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत भवन योजनाओं को मंजूरी देना भी योजना विभाग के अंतर्गत आता है।

  • दिल्ली के नियोजित विकास के लिए योजना विभाग की कुछ मुख्य उपलब्धियाँ निम्नप्रकार है:-

  • "“ इस अनुभाग में निहित जानकारी निर्देशात्मक है। उपयोग किया गया डाटा गौण स्त्रोतों से लिया गया है। इनके आधार पर दि.मु.यो. 2021 की प्रस्ताव नीतियों को सूत्रबद्ध किया गया है। ”"

    योजना का निर्माण

    दि.वि.प्रा. वर्तमान में दिल्ली मुख्य योजना - 2001 के विस्तृत संशोधन पर कार्य कर रहा है और दि.मु.यो. को 2021 के परिप्रेक्ष्य के अनुसार तैयार किया जा रहा है ताकि शहर की बढ़ती हुई जनसंख्या और बदलती हुई जरूरतों का प्रबंध किया जा सके।

    दि.मु.यो-2021 को तैयार करने की भूमिका के अनुसार, बारह उपसमूहों का गठन किया गया, जिसमें शमिल है:

    • विशेषज्ञ एवं पेशेवर,
    • प्रतिष्ठित व्यक्ति,
    • जन प्रतिनिधि,
    • संबंधित संगठन,
    • सेक्टोरल स्टडीज
    • Sराजनीतिज्ञों, प्रशासकों, स्थानीय निकायोंएवंआर.डब्लू.ए. इत्यादि को आमंत्रित करते हुए सेमिनारों की श्रृंखला।

    लगभग 200 विशेषज्ञ विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

    उपसमूह:

    • जनसांख्यि की प्रोफाइल
    • क्षेत्रीय एवं उप-क्षेत्रीय
    • आश्रय शेल्टर
    • व्यापार एवं वाणिज्य
    • उद्योग
    • वास्तविक आधारिक संरचना
    • ट्रैफिक एवं परिवहन
    • सामाजिक आधारिक संरचना
    • मिश्रित भूमि उपयोग
    • संरक्षण एवं शहरी नवीकरण
    • पर्यावरण एवं प्रदूषण
    • विकास नियंत्रण

    चरण:

    • रेजीडेन्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन आदि के साथ से मिनार और परस्पर विचार-विमर्श की श्रृंखला के माध्यम से जन भागीदारी।
    • उप-समूहों की सिफारिशें
    • केन्द्र/राज्य सरकार और प्राधिकरण परामर्श--
      (भारत सरकार से प्राप्त दिशा-निर्देश–स्टेक होल्डर्स के साथ परामर्श के लिए अतिरिक्त इनपुट का प्रचार किया गया)
    • मसौदा योजना (ड्राफ्ट प्लान)
    • आपत्तियों एवं सुझावों के लिए सार्वजनिक सूचना को जारी करने हेतु भारत सरकार का अनुमोदन
    • आपत्तियों एवं सुझावों पर विचार करना
    • अंतिम योजना

शहरी विकास, विकास क्षेत्र भवन उपविधि, मिश्रित भूमि उपयोग, आवास, परिवहन और आधारिक विकास इत्यादि के संबंध में नीतियाँ।